Headline
फिलीपींस में फिर फटा कनलाओन ज्वालामुखी, 87,000 लोगों को पहुंचाया गया सुरक्षित स्थान पर
फिलीपींस में फिर फटा कनलाओन ज्वालामुखी, 87,000 लोगों को पहुंचाया गया सुरक्षित स्थान पर
पीआरडी जवानों की बेटियों की शादी में मदद करेगी सरकार- रेखा आर्या
पीआरडी जवानों की बेटियों की शादी में मदद करेगी सरकार- रेखा आर्या
वरुण धवन की फिल्म ‘बेबी जॉन’ का ट्रेलर जारी, जबरदस्त एक्शन करते नजर आए अभिनेता
वरुण धवन की फिल्म ‘बेबी जॉन’ का ट्रेलर जारी, जबरदस्त एक्शन करते नजर आए अभिनेता
अतिथि शिक्षकों को वित्त विभाग ने दिया झटका, मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को किया रद्द 
अतिथि शिक्षकों को वित्त विभाग ने दिया झटका, मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को किया रद्द 
हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले को छोड़ बाकी सभी जिलों में पाला पड़ने का येलो अलर्ट जारी
हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले को छोड़ बाकी सभी जिलों में पाला पड़ने का येलो अलर्ट जारी
11 से 21 दिसंबर तक चलने वाली अग्निवीर भर्ती परीक्षा हुई शुरु, केंद्र के आसपास पुलिस और सेना के कड़े इंतजाम 
11 से 21 दिसंबर तक चलने वाली अग्निवीर भर्ती परीक्षा हुई शुरु, केंद्र के आसपास पुलिस और सेना के कड़े इंतजाम 
वजन कम करने के लिए खाते हैं ज्यादा फल, तो हो जाएं सावधान, सेहत को हो सकते हैं बड़े नुकसान
वजन कम करने के लिए खाते हैं ज्यादा फल, तो हो जाएं सावधान, सेहत को हो सकते हैं बड़े नुकसान
खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया 35वीं सीनियर राष्ट्रीय कैनो – स्प्रिंट चैंपियनशिप का शुभारंभ
खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया 35वीं सीनियर राष्ट्रीय कैनो – स्प्रिंट चैंपियनशिप का शुभारंभ
सीएम ने बेसहारा एवं बेघर लोगों को कंबल वितरित किए
सीएम ने बेसहारा एवं बेघर लोगों को कंबल वितरित किए

महंगे एक्सप्रेस-वेज ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं

महंगे एक्सप्रेस-वेज ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं

सिर्फ ऊंचे टॉल टैक्स वाले महंगे एक्सप्रेस-वेज (जो आम जन की पहुंच से बाहर हों) ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। असल कसौटी यह है कि एक्सप्रेज-वेज से उतरने के बाद शहर और गांवों में ऐसे निर्माणों के कारण जिंदगी कितनी सहूलियत भरी हुई है।

लखनऊ में चारबाग स्टेशन के बाहर नौका चलते देखना कौतुक से भरा अनुभव है। वाराणसी में शहर के अंदर जगह-जगह तालाब जैसा नज़ारा बनना उससे कोई कम तजुर्बा नहीं है। ठीक ही कटाक्ष किया गया है कि वादा वाराणसी को क्योटो (जापान की स्मार्ट सिटी) बनाने का था, लेकिन उसे वेनिस (इटली का मशहूर नगर जहां शहर के अंदर मौजूद झीलों में नौकाएं चलती हैं) बना दिया गया। यह तो सिर्फ दो मिसालें हैं।

जल जमाव के शिकार शहरों की सूची रोज लंबी होती जा रही है। सोमवार सुबह-सुबह खबर आई की महानगर मुंबई में रात में हुई बारिश से जगह-जगह पानी भर गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वैसा नज़ारा पैदा हुए अभी कुछ रोज ही गुजरे हैं। यानी महानगर से लेकर छोटे शहरों तक में इस मामले में समरूपता बनती जा रही है। एयरपोर्ट्स के अंदर पानी घुसना और ट्रेनों से लेकर रेलवे स्टेशनों तक पर ऊपर से रिसते पानी से झरने जैसा दृश्य बनना आम हो गया है। यह उस देश का हाल है, जहां “तेजी से विकसित होते इन्फ्रास्ट्रक्चर” की कहानियां इस तरह फैली हैं कि देशवासी अक्सर उस पर गर्व करते दिखते हैं।

ये कहानियां दूर-दूर तक फैली हैं। कुछ समय पहले मशहूर ब्रिटिश पत्रिका द इकॉनमिस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में इसे “माउथवाटरिंग” इन्फ्राक्टक्चर निर्माण कहा था। बहरहाल, आम भारतवासियों के मुंह में इस निर्माण को देख कर पानी भले ना आता हो, लेकिन उन्हें अपने चारों ओर भरे पानी को चीरते हुए जरूर गुजरना पड़ रहा है। तो अब जरूरी हो गया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के बारे में नई समझ बनाई जाए। सिर्फ ऊंचे टॉल टैक्स वाले एक्सप्रेस-वेज (जो आम जन की पहुंच से बाहर हों) ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। असल कसौटी यह है कि एक्सप्रेज-वेज से उतरने के बाद शहर और गांवों में ऐसे निर्माणों के कारण जिंदगी कितनी सहूलियत भरी हुई है। वैसे तो हर मौसम में इस कसौटी पर हमारी बस्तियां फेल होती हैं, लेकिन इस वर्ष की बरसात में टूटते पुलों, सडक़ों में पड़ती दरार, एयरपोर्ट और रेलवे ढांचे में घुसते पानी, आदि ने कुछ ज्यादा पोल खोल दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top