ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर बढ़े आर्थिक दबाव, फिर भी शिक्षा का आकर्षण कायम

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर बढ़े आर्थिक दबाव, फिर भी शिक्षा का आकर्षण कायम

नई दिल्ली/सिडनी: ऑस्ट्रेलिया हमेशा से भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख उच्च शिक्षा गंतव्य रहा है, और इस समय भी यहां पढ़ाई करने के लिए भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के 43 विश्वविद्यालयों में 1.18 लाख से अधिक भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं, जो कुल विदेशी छात्रों का 15% हिस्सा हैं। हालांकि, हाल की वीजा शुल्क वृद्धि और रिजर्व फंड की सीमा में बदलाव ने भारतीय छात्रों सहित सभी विदेशी छात्रों के लिए शिक्षा खर्च को बढ़ा दिया है, जिससे आर्थिक दबाव उत्पन्न हुआ है।

वीजा शुल्क और रिजर्व फंड में बढ़ोतरी

2025 में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने विदेशी छात्रों के लिए वीजा शुल्क को 1600 से बढ़ाकर 2000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर कर दिया। इसके अलावा, रिजर्व फंड की सीमा को 24,000 से बढ़ाकर 27,500 डॉलर कर दिया गया। यह बढ़ोतरी विशेष रूप से उन छात्रों के लिए चिंता का कारण बन गई है, जिन्हें अपने बैंक खाते में पर्याप्त धन दिखाना होता है ताकि यह साबित किया जा सके कि वे अपनी पढ़ाई के लिए आर्थिक रूप से सक्षम हैं।

न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी की छात्रा अनुष्का गोस्वामी, जो पिछले चार सालों से ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रही हैं, ने बताया, “जब मैंने 2020 में यहां पढ़ाई शुरू की थी, तब वीजा शुल्क 600 डॉलर था। अब यह बढ़कर 2000 डॉलर से अधिक हो गया है, और इसके साथ ही ट्यूशन फीस भी बढ़ी है। यह स्थिति हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करना सही निर्णय है।”

शिक्षा की गुणवत्ता और रोजगार के अवसर

हालांकि, छात्र मानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की शिक्षा की गुणवत्ता और रोजगार के अवसर इस बढ़ी हुई लागत को सही ठहराते हैं। अनुष्का का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के बाद मिलने वाले रोजगार अवसर और शिक्षा का स्तर उन्हें यह खर्च उठाने के लिए प्रेरित करते हैं।

विश्वविद्यालयों की चिंता और सरकार पर दबाव

ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय भी वीजा शुल्क की बढ़ोतरी को लेकर चिंतित हैं। वे सरकार पर इस निर्णय को फिर से विचारने का दबाव बना रहे हैं। UNSW स्टूडेंट यूनियन की सदस्य कृषा ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से ले रहा है और सरकार से इस मुद्दे पर बातचीत कर रहा है। वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी की प्रोवोस्ट प्रो. डेबोराह स्वीनी ने कहा, “शुल्क वृद्धि से विदेशी छात्रों की संख्या पर असर पड़ सकता है। यह ऑस्ट्रेलियाई शिक्षा क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह होगा।”

हाउसिंग संकट और विदेशी छात्रों की संख्या पर नियंत्रण

ऑस्ट्रेलिया में कोविड महामारी के बाद विदेशी छात्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई थी। हालांकि, 2023 में यह संख्या घटकर लगभग 3.75 लाख रह गई। यह बढ़ी हुई छात्र संख्या ऑस्ट्रेलिया के हाउसिंग सेक्टर पर दबाव डाल रही है। सभी छात्रों को कैंपस में रहने की सुविधा नहीं मिलती, जिसके कारण उन्हें बाहर किराए पर घर लेना पड़ता है, जिससे मकान किराए में वृद्धि हो रही है।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार अब विदेशी छात्रों की संख्या को प्रति वर्ष 2.7 लाख तक सीमित करने की योजना बना रही है। डेस्टिनेशन न्यू साउथ वेल्स के जनरल मैनेजर स्टीफन माहोने ने कहा, “हमें अधिक विदेशी छात्र चाहिए, लेकिन हाउसिंग संकट को देखते हुए यह कदम जरूरी हो गया है।”

भारत में ऑस्ट्रेलियाई कैंपस की शुरुआत

ऑस्ट्रेलिया की विश्वविद्यालयों ने भारत में अपने कैंपस खोलने की योजना बनाई है। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के ग्लोबल इंगेजमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर के अनुसार, यह कैंपस चेन्नई और बेंगलुरु में अगले साल से शुरू हो सकते हैं। इससे उन छात्रों को लाभ होगा जो ऑस्ट्रेलिया नहीं जा सकते।

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में शिक्षा की अहम भूमिका

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वांग ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय छात्र हमारी अर्थव्यवस्था और द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा हैं। हम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं, और इसी दिशा में वीजा शुल्क में वृद्धि की गई है।”

हालांकि, उन्होंने वीजा शुल्क में कमी करने के कोई संकेत नहीं दिए।